मोहन मुरली वालेया तू आजा वे,
दोहा – श्याम सुन्दर तू ऐ चनवर्गा,
ते असि अम्बरो टूटदे तारे हाँ,
सानू इना ना तड़पाया कर,
की असि पेला ही गमांदे मारे हाँ,
ओ साडा मुड़ मुड़ मरनु जी करदा,
ते असि जिउँदे तेरे सहारे हाँ,
साडे नैना इम्तेहान ले आकर,
के असि थोड़िया उमरा वाले हाँ।
मोहन मुरली वालेया तू आजा वे,
मोहन मुरली वालेंया तू आजा वे,
आजा वे एक वार फेरा पा जा वे,
आजा वे एक वार फेरा पा जा वे।।
दिलों मैं तेनु प्यार करा,
मुँह ना इजहार करा,
ये अँखियाँ बोल पइया,
मैं लख इंकार करा,
मैं लख इंकार करा।।
किन्ही देर तेरे कोलो प्यार लुकाया ऐ,
होके मजबूर हाल दिल दा सुणाया ऐ,
किना मैं तेनु प्यार करा,
किदा मैं इजहार करा,
ये अँखियाँ बोल पइया,
मैं लख इंकार करा,
मैं लख इंकार करा।।
सांवरी सूरत वालेया मुख मोड़ी ना,
चरण कमल ते रख ले प्रीत तोड़ी ना,
एक पास जग सारा दूजे पास प्यारे,
मर्जी ऐ तेरी हूण डोब भवे तार दे,
असा ला इंतजार करा,
मैं तेरा ऐतबार करा,
ये अँखियाँ बोल पइया,
मैं लख इंकार करा,
मैं लख इंकार करा।।
पिले पीताम्बर वालेया रूस जाई ना,
मेरा प्रेम निराला तू आजमाई ना,
मिल जावे मिट जावे,
अँखियाँ दी प्यास वे,
जागेगा नसीब मेरा,
पूरी कर आस वे,
मैं तेरा दीदार करा,
वे सौ सौ बार करा,
ये अँखियाँ बोल पइया,
मैं लख इंकार करा,
मैं लख इंकार करा।।
मोहन मुरली वालेंया तू आजा वे,
मोहन मुरली वालेंया तू आजा वे,
आजा वे एक वार फेरा पा जा वे,
आजा वे एक वार फेरा पा जा वे।।
स्वर – श्री गौरव कृष्ण जी गोस्वामी।