मोहे तो प्रभु मिलन की आस,
बार-बार तोहे अरज़ लगाऊं,
कब दर्शन दोगे नाथ,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
नैना निशदिन बरस रहे,
तेरे दरस को तरस रहे,
कब आओगे सुखधाम,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
विपदा पड़ी मुझ पर भारी,
आन बचाओ कृष्ण मुरारी,
अब तो थाम लो राम,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
जीवन नैया मेरी डूब रही है,
बीच भंवर है डोल रही है,
मोहे पार लगाओ सुखधाम,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
मनवा तुम बिन लागत नाही,
कहीं भी कल पावत नाही,
आन बसो हृदय-धाम,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
मोहे तो प्रभु मिलन की आस,
बार-बार तोहे अरज़ लगाऊं,
कब दर्शन दोगे नाथ,
मोहें तो प्रभु मिलन की आस।।
प्रेषक – तपोभूमि परमहंस योगाश्रम धाम भिवानी।