मोरछड़ी का झाड़ा लगा दे सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा।।
तर्ज – सावन का महिना।
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल ये दीवाना,
प्यारे बात मानो पर्दा,
छोड़ दो लगाना,
दुरी का ये पर्दा,
हटा ले सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा।।
मोर मुकुट गल माला,
इतर लगाया है,
भक्तो ने बाबा तुझको,
मिल के सजाया है,
कैसे इस सुरत को,
निहारे सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा।।
मोर छड़ी है पावन,
इसकी छाया,
समझ ना पाया कोई,
सांवरे की माया,
‘नितेश’ भाव से गाये,
अब सुन ले सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा।।
मोरछड़ी का झाड़ा लगा दे सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा,
सांवली सूरत अब तो,
दिखा दे सांवरा।।
स्वर – नितेश खन्ना ‘नादान’।