मोरछड़ी लहरावे जी,
श्याम नज़र म्हानै आवै जी,
चाल पड़्यो खाटू से,
म्हारो श्याम धणी।।
मोरछड़ी है कुंजी पूंजी,
मिली जो श्याम कन्हैया से,
तीन बाण तरकस में सोहे,
मिला जो माँ जगदम्बा से,
कलयुग को देव कुहावै जी,
घर घर पूज्यो जावै जी,
सब भक्तां ने लागे,
प्यारो श्याम धणी,
चाल पड़्यो खाटू से,
म्हारो श्याम धणी।।
देख रही है दुनियां सारी,
मोरछड़ी की सकलाई,
खुल गया ताला मंदिर का,
ली श्याम बहादुर अंगड़ाई,
हारया ने देवे साहारो जी,
विपदा में दौड़यो आवै जी,
करे नही जी देर,
म्हारो श्याम धणी,
चाल पड़्यो खाटू से,
म्हारो श्याम धणी।।
आलूसिंह जी मोहन दास,
श्याम थारा गुणगान करे,
‘टीकम’ तो है दास चरण को,
हरपल थारो ध्यान धरे,
पलकां बिछाया बैठ्यो जी,
दर्शन म्हाने दे दयो जी,
चढ़ लीले पर आयो,
म्हारो श्याम धनी,
चाल पड़्यो खाटू से,
म्हारो श्याम धणी।।
मोरछड़ी लहरावे जी,
श्याम नज़र म्हानै आवै जी,
चाल पड़्यो खाटू से,
म्हारो श्याम धणी।।
प्रेषक – परितोष मिनी।
7992429775