मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
आये हैं हम तेरे द्वारे,
टेर सुनो जसुदा के प्यारे,
चल न कंटक पथ पर,
चलते चलते ये पग हारे,
विनय सुनो मोरी बनवारी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
अश्रुधार सींच रहा हूँ,
है गिरधारी चरण तुम्हारे,
कौन खबर ले तुम बिन मोरी,
कौन हमारी विपदा टारे,
है करुनाकर जग हितकारी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
भक्ति भाव की माला है बस,
और नहीं कुछ पास हमारे,
तुमसा डेटा छोड़ के है हरि,
किसके जाऊं पाव पाखरे,
‘राजेन्द्र’ तुम है बलिहारी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340