मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
गैरो ने ठुकराया अपने भी बदल गये है,
हम साथ चले जिनके वो दूर निकल गये है,
तेरे ही रहम पर हूँ, माँ तेरे ही रहम पर हूँ,
तू बख्श या ठुकराये,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
माना के मैं पापी हूँ तुझे खबर गुनाहो की,
बस इतनी सजा देना मुझे मेरे खताओं की,
तेरे दर हो सर मेरा, तेरे दर हो सर मेरा,
और साँस निकल जाए,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
हम ख़ाख़ नशीनो की क्या खूब तमन्ना है,
तेरे नाम से जीना है तेरे नाम पे मरना है,
मरना तो है वो तेरी, मरना तो है वो तेरी,
चौखट पे जो मर जाये,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
सूरज और चंदा का आँखों में उजाला है,
मस्तक में अग्नि की प्रचंड ज्वाला है,
तेरी नजरे करम हो तो,माँ नजरे करम हो तो,
‘गुरदास’ भी तर जाए,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये।।
स्वर – गुरदास मान।