मुझे आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मेरा मर्तबा बढ़ाया,
मेरा मर्तबा बढ़ाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
मैं गमो की धूप में जब,
तेरा नाम लेके निकला,
मिला रहमतो का साया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
मुझे जब भी गम ने घेरा,
मेरा साथ सबने छोडा,
तू ही मदद को आया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
कभी मौत के भवर से,
कभी मौजेपुर खतर से,
मेरी नाव को बचाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
मैं भटक के रह गया था,
कही और बह गया था,
मुझे रास्ता दिखाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
मुझे आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मेरा मर्तबा बढ़ाया,
मेरा मर्तबा बढ़ाया,
ये करम नहीं तो क्या है,
मुझें आप ने बुलाया,
ये करम नहीं तो क्या है।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।
ATI. MAN. BHAAVAN…