मुझे लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
मेरे कर्म हो कुछ ऐसे,
मैं माँ की करूँ सेवा,
तेरे चरणों में बैठ के माँ,
दुःख दूर हुआ मेरा,
तेरे रूप में माँ मैंने,
भगवान को पाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
ये दुनियादारी माँ,
मुझे अब है समझ आई,
सब झूठे नाते है,
कोई काम नहीं आए,
सांचा एक नाता है,
जो तूने निभाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
स्वर्गो सा सुख मेरी माँ,
तेरे चरणों में मिलता है,
ये उजड़ा चमन मेरा,
तेरे आँचल खिलता है,
मेरे दिल में ममता का,
तूने फुल खिलाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
भगवान से पहले माँ,
मैं तुमको पुजूंगा,
तेरे कदमो में मेरी माँ,
भगवान को ढूंढूंगा,
सबसे पावन तेरे,
आँचल की छाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
मुझे लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है,
खुश नसीब हूँ मैं कितना,
मेरे सर माँ का साया है,
मुझें लायी दुनिया में,
और सब कुछ सिखाया है।।
स्वर – राकेश काला जी।