मुझे मोह और माया से,
शिव जी उबार लो,
शरणागति देकर प्रभु जी,
तुम मुझको तार दो।।
जय उमानाथ जय विश्वेश्वर,
जय नागेश्वर जय जय।
ठुकराती है सारी दुनिया,
नाथ मैं भक्त तुम्हारा हूँ,
दीन जानकर दया करो प्रभु,
मैं जीवन से हारा हूँ,
मेरी श्रद्धा के सुमन भाव को,
शिव स्वीकार लो,
शरणागति देकर प्रभु जी,
तुम मुझको तार दो।।
जय उमानाथ जय विश्वेश्वर,
जय नागेश्वर जय जय।
नही सुनोगे विनती हमारी,
कौन सुनेगा फिर शंभू,
दयावान नहीं दया करोगे,
तो कौन करेगा शिव शम्भू,
मैं तर जाऊँ मेरे भोले,
जीवन सवार दो,
शरणागति देकर प्रभु जी,
तुम मुझको तार दो।।
जय उमानाथ जय विश्वेश्वर,
जय नागेश्वर जय जय।
शिव तुम ही शक्ति के स्वामी,
तन में मेरे शक्ति दो,
मैं चरणों में शीश झुकाऊं,
मन में मेरे भक्ति दो,
जीने के आधार खो गए,
शिव आधार दो,
शरणागति देकर प्रभु जी,
तुम मुझको तार दो।।
जय उमानाथ जय विश्वेश्वर,
जय नागेश्वर जय जय।
मुझे मोह और माया से,
शिव जी उबार लो,
शरणागति देकर प्रभु जी,
तुम मुझको तार दो।।
जय उमानाथ जय विश्वेश्वर,
जय नागेश्वर जय जय।
स्वर – अनूप जलोटा जी।