मुझे रास आ गया हैं ग्यारस,
को खाटू आना,
यूँ ही प्यार से हमेशा,
मुझे साँवरे बुलाना,
मुझे रास आ गया है,
ग्यारस को खाटू आना।।
ग्यारस का अब तो बाबा,
मुझे इंतज़ार होता,
यादो में तेरी तड़पूँ,
ना जागु ना ही सोता,
अब तक निभाया तुमने,
आगे भी तू निभाना,
मुझे रास आ गया है,
ग्यारस को खाटू आना।।
जब तक चलेगी साँसे,
सुमिरण करूँगा तेरा,
गुणगान तेरा गाउँ,
वंदन करूँगा तेरा,
दुनिया मुझे बुलाए,
कह कर तेरा दीवाना,
मुझे रास आ गया है,
ग्यारस को खाटू आना।।
तेरे दिल को मैं जो भाया,
ये खुशनसीबी मेरी,
मिलो हुई है मुझसे,
अब बदनासी मेरी,
तेरा ‘हर्ष’ यूँ ही चाहे,
चरणों में बस ठिकाना,
मुझे रास आ गया है,
ग्यारस को खाटू आना।।
मुझे रास आ गया हैं ग्यारस,
को खाटू आना,
यूँ ही प्यार से हमेशा,
मुझे साँवरे बुलाना,
मुझे रास आ गया है,
ग्यारस को खाटू आना।।
स्वर – हरी शर्मा।