मुझे राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है,
कर में अपने धनुष बाण धारे है,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
शीष पर है मुकुट,
माथे चंदन लगा,
बाल घुघराले है,
जैसे बादल घना,
कांधे पीर पिछोरा धारे है,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
श्री विष्णु ने अवध में,
श्रीराम रूप धारा,
करके अनेक लीला,
पृथ्वी का भार टाला,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
साथ लक्ष्मण भरत,
शत्रुघ्न भाई है,
राम के बाएं में,
बैठी सिया माई है,
श्री चरणों में हनुमत पधारे है,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
झांकी है कितनी प्यारी,
शोभा कही न जाये,
बिन देखे इनकी मूरत,
हमसे रहा न जाये,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
मुझे राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है,
कर में अपने धनुष बाण धारे है,
मुझें राम श्री राम,
प्राणों से ज्यादा प्यारे है।।
गायक / प्रेषक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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