जब जब नसीब रूठा,
बादल ग़मों के छाए,
मुझे तुम याद आए,
मुझें तुम याद आए,
ऐसे में दुख का साथी,
जब एक भी ना पाए,
मुझें तुम याद आए,
मुझें तुम याद आए।।
तर्ज – जब जब बहार आई।
सारे जहां का मालिक,
परवरदीगार तू है,
इस मतलबी जहां में,
यारो का यार तू है,
मेरी बेबसी के ऊपर,
जब लोग मुस्कुराए,
मुझें तुम याद आए।।
सुख की नहीं थी चिंता,
दुख में ही जी रहा था,
आंसू मिले जो मुझ को,
हस हस की पी रहा था,
जब सुख के यार सारे,
दुख में हुए पराए,
मुझें तुम याद आए।।
तेरी रहमतों पे मुझ को,
बड़ा नाज श्याम बाबा,
तूने मुश्किलों में रखी,
मेरी लाज श्याम बाबा,
‘गजेसिंह’ के भजन जब,
इस ‘राज’ ने सुनाए,
मुझें तुम याद आए।।
जब जब नसीब रूठा,
बादल ग़मों के छाए,
मुझे तुम याद आए,
मुझें तुम याद आए,
ऐसे में दुख का साथी,
जब एक भी ना पाए,
मुझें तुम याद आए,
मुझें तुम याद आए।।
Singer – Raj Pareek Ji
Upload By – Pranav Joshi
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