मुसीबत में साथी,
श्याम सरकार था,
श्याम सरकार था,
आज भी है और कल भी रहेगा।।
तर्ज – सौ साल पहले।
लाचार था टुकड़ों को,
मैं दर दर फिरता मारा मारा,
जिनको अपना समझा,
सभी अपनों ने किया किनारा,
श्याम पे भरोसा मेरा,
तब भी बरकरार था,
तब भी बरकरार था,
आज भी है और कल भी रहेगा।।
जीवन नैया मेरी,
भवर में खाये डगमग डोले,
बड़ी दूर किनारा था,
फंसी लहरों में खाये हिचकोले,
एक ही सहारा श्याम,
नाम पतवार था,
नाम पतवार था,
आज भी है और कल भी रहेगा।।
जब बाबा कृपा करें
अमावस बन जाए पूरणमासी,
दर्शन की आस लिए,
श्याम दर खड़ा ‘कृष्ण बृजवासी’,
तेरा गुणगान मेरा,
यही कारोबार था,
यही कारोबार था,
आज भी है और कल भी रहेगा।।
मुसीबत में साथी,
श्याम सरकार था,
श्याम सरकार था,
आज भी है और कल भी रहेगा।।
Singer – Shivam Sharma