ना कर्म से मिला,
ना अधिकार से मिला,
ना ही कुछ मुझे,
तेरे संसार से मिला,
मैंने जो भी पाया,
अपनी जिंदगी में,
वो मुझे बाबा,
तेरे दरबार से मिला।bd।
तर्ज – देखा एक ख्वाब तो।
याद आता है मेरा गुजरा जमाना,
मेरा वो दर बदर की ठोकरे खाना,
हाथ भी फैलाए सबके सामने मगर,
हाथ भी फैलाए सबके सामने मगर,
ना यार से मिला,
ना रिश्तेदार से मिला,
करम से मिला,
ना अधिकार से मिला,
ना ही कुछ मुझे,
तेरे संसार से मिला।bd।
हार के आया बाबा तेरे धाम पे,
झोली फैलाई जब तुम्हारे सामने,
छोटी पड़ गई थी झोली इस गरीब की,
छोटी पड़ गई थी झोली इस गरीब की,
क्या कहूं मैं इतना,
तेरे द्वार से मिला,
करम से मिला,
ना अधिकार से मिला,
ना ही कुछ मुझे,
तेरे संसार से मिला।bd।
बात ना धन की है ना शोहरत की है,
बात ‘सोनू’ ये दिल की चाहत की है,
जीतने वालों ने भी पाया नहीं कभी,
जीतने वालों ने भी पाया नहीं कभी,
सुख मुझे वो तेरे,
दर पे हार के मिला,
करम से मिला,
ना अधिकार से मिला,
ना ही कुछ मुझे,
तेरे संसार से मिला।bd।
ना कर्म से मिला,
ना अधिकार से मिला,
ना ही कुछ मुझे,
तेरे संसार से मिला,
मैंने जो भी पाया,
अपनी जिंदगी में,
वो मुझे बाबा,
तेरे दरबार से मिला।bd।
Singer – Mukesh Bagda Ji