ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
पास मेरे तो कुछ भी नहीं है,
चरणों में शीश झुकना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
जब से तेरी सूरत देखि,
कुसुम प्रेम की मूरत देखि,
अपना तुझे बनाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
जप तप साधन कुछ न जानू,
अपनी लगन को सब कुछ मानु,
दिल का दर्द सुनाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
जनम जनम से भूली तुमको,
अब जाकर हूँ जानी तुमको,
अब ना तुम्हे भुलाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
दासी तेरी शरण में आई,
लगन मिलन की मन में समाई,
प्रेम की भेट चढ़ाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है,
पास मेरे तो कुछ भी नहीं है,
चरणों में शीश झुकना है,
न मैं मीरा न मैं राधा।।
स्वर – श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी।
प्रेषक – हरिओम गलहोत्रा
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