ना पुष्पों के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
मन में साँचा प्यार,
और सीधा सा व्यवहार,
ना अहम का कोई विचार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
तर्ज – ना कजरे की धार।
जो पुष्प ना पास तुम्हारे,
वाणी को पुष्प बनालो,
पुष्पो के हार बनाकर,
चरणों में इनके चढ़ा दो,
खुश होकर मेरे बाबा,
कर लेंगे इसे स्वीकार।
ना पुष्पो के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
जब श्याम कृपा हो जाती,
मिट्टी सोना बन जाती,
सोने में श्याम ना मिलते,
ये मीरा हस हस गाती,
महलो को उसने छोड़ा,
तब पाया श्याम का प्यार।
ना पुष्पो के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
सांवरिया उस घर मिलते,
जहा पुष्प प्रेम के खिलते,
दीनो के वेश में बाबा,
भक्तो से मिलने निकलते,
बाबा को वो ही पाए,
दीनो से करे जो प्यार।
ना पुष्पो के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
जो छल लेकर यहाँ आता,
वो खुद ही छला है जाता,
तेरी लीला अजब निराली,
तेरा भक्त ‘कुमार’ है गाता,
मेरे बाबा माफ़ करना,
बस देखो मेरा प्यार।
ना पुष्पो के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
ना पुष्पों के हार,
ना सोने के दरबार,
ना चाँदी के श्रृंगार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
मन में साँचा प्यार,
और सीधा सा व्यवहार,
ना अहम का कोई विचार,
श्याम तो प्रेम के भूखे है,
श्याम तो प्रेम के भूखे है।।
Singer : Sanjay Pareek Ji