ना थी किस्मत मेरी,
तूने इतना दिया,
है तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
तेरे चरणों की धूलि,
मुझे जो मिली,
जैसे अंधेरों में,
कोई ज्योति जली,
मेरे जीवन को श्याम,
तूने रोशन किया,
है तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
तेरे नाम से ही,
मेरी पहचान है,
जो चूका ना सकू,
इतने एहसान है,
तेरे एहसानों का मैं,
ऋणी हो गया,
है तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
जानू ना कैसे मैं,
तेरे दर आ गया,
मुझे ऐसा लगा के मैं,
घर आ गया,
‘सौरभ मधुकर’ को श्याम,
तूने अपना लिया,
है तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
ना थी किस्मत मेरी,
तूने इतना दिया,
है तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
स्वर – सौरभ मधुकर।