नगरी नाकोड़ा री प्यारी,
दर्शन आवे दुनिया सारी,
भेरु भगतो रा हितकारी,
भेरु जी ध्यावे नर ने नारी,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
मेवा नगर री पहाड़ीयों में,
बिराजे भैरव नाथ,
नाकोड़ा भैरू जी रे साथे,
बिराजे पार्श्वनाथ,
नाकोड़ा रो तीर्थ प्यारो,
नाकोड़ा रो तीर्थ प्यारो,
महिमा अपरम्पार,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
पौष मास रो मेलो भरावे,
नाकोड़ा में भारी,
दूर दूर सु आवे जातरु,
निवन करे नर नारी,
भेरूजी री महिमा भारी,
भेरूजी री महिमा भारी,
पायो कोनी पार,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
तेल सुकड़ी रो भोग लगावें,
चाढे मेवा मिठाई,
छप्पन भोग लगावे दादा ने,
आस पूरे भगता री,
साचे मन सु जो नर ध्यावे,
साचे मन सु जो नर ध्यावे,
करदो बेड़ा पार,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
भगत आपरा चरने आवे,
गुण आपरा गावे,
‘मनीष सीरवी’ कलम चलावे,
गुण भेरु रा गावे,
‘अंकुश’ ने दादा चरना राखो,
‘अंकुश’ ने दादा चरना राखो,
धरजो सिर पर हाथ,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
नगरी नाकोड़ा री प्यारी,
दर्शन आवे दुनिया सारी,
भेरु भगतो रा हितकारी,
भेरु जी ध्यावे नर ने नारी,
कितरो कितरो रे करां मै बखान,
घर घर मे गूंजे भेरूजी री जयकार।।
गायक – अंकुश जी गहलोत आहोर।
लेखक / प्रेषक – मनीष सीरवी।
रायपुर जिला ब्यावर राजस्थान।
9640557818