नहीं मैं मांगू जहाँ की दौलत,
ना चाहूँ मैं सोना और चांदी,
बस एक लक्ष्मी सी बेटी देना,
यही दुआ है मेरी प्रभु से।।
तर्ज – जिहाले मस्कीं।
वो है उमस में शीतल हवा सी,
वही है मासूम एक परी सी,
वही गुरुर है मेरे जहाँ का,
वही है कतरा मेरे लहू का,
नही में मांगु जहाँ की दौलत,
नही मै माँगू जहाँ की दौलत,
ना चाहूँ मैं सोना और चांदी,
बस एक लक्ष्मी सी बेटी देना,
यही दुआ है मेरी प्रभु से।।
उसी के कदमो से घर में बरकत,
उसी से आंगन में रोशनी है,
उसी में इज्जत है मेरे घर की,
वही दिलों में है बनके धड़कन,
नही मै माँगू जहाँ की दौलत,
ना चाहूँ मैं सोना और चांदी,
बस एक लक्ष्मी सी बेटी देना,
यही दुआ है मेरी प्रभु से।।
वो शर्म है या हया है ख़ुशी है,
वही है दोनों कुलो की रंगत,
उसी से महके पियर की गलियाँ,
पति के घर का गुमान है वो,
नही मै माँगू जहाँ की दौलत,
ना चाहूँ मैं सोना और चांदी,
बस एक लक्ष्मी सी बेटी देना,
यही दुआ है मेरी प्रभु से।।
नहीं मैं मांगू जहाँ की दौलत,
ना चाहूँ मैं सोना और चांदी,
बस एक लक्ष्मी सी बेटी देना,
यही दुआ है मेरी प्रभु से।।
Singer – Vicky D Parekh