नैणो में ढल रयो नीर,
दोहा – कबीर सपने रेण के,
भयो कलेजे छेद,
जद सोऊ जद दोय जणा,
जद जागु जद एक।
के ब्रहणी ने मोत दे,
के आपो दिखलाय,
रेण दिवस रो दाजणो,
पिया मा सूं सहयो नही जाय।
नैणो में ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ब्रहणी बेठी पिहर मे रे,
पियो बसे परदेश,
अरे खान पान सब त्यागिया ओ,
अरे त्यागया वस्त्र भेष पियाजी,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
अरे धुणी धुके ज्यू काळजो रे,
बळ जळ गयो रे शरीर,
अरे मछली ज्यूं तड़पत फिरु ओ,
कद वेला संमदा सीर,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
सूती नी आवे निंदड़ी रे,
अरे जागु नही रे सुहाय,
विरह काले नाग ज्यु ओ,
काढ काळजो खाय,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
बेदर्दी पिया दया नही आई रे,
अरे गयो तु विरह लगाय,
अरे कयो चरणा माय रे,
राखसु रे अधबिच चिटकाय,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
रूप सरूप आपरो रे,
अरे ज्योने झुर रही ब्रहणी अनेक,
अरे सिमरथ दास आपरी,
ओ दया हमारी देख,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
नैणो में ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मै सरवर तीर,
ब्रहणी बेठी पिहर मे रे,
पियो बसे परदेश,
अरे खान पान सब त्यागिया ओ,
अरे त्यागया वस्त्र भेष पियाजी,
ऊभी मे सरवर तीर,
नैणों मे ढल रयो नीर,
पियाजी ऊभी मे सरवर तीर।।
स्वर – मोईनुद्दीन जी मनचला।