नैया चला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला,
मुझको बचा रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला।।
कब का मैं डूब जाता,
तू हाथ ना लगाता,
तेरी कृपा ना होती,
तो तैर भी ना पाता,
साहिल पे ला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नईया चला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला।।
कई बार मन में आया,
सब मैं ही कर रहा हूं,
सच है तेरे करम से,
दिन रात बढ़ रहा हूं,
मुझको बढ़ा रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नईया चला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला।।
पतवार थाम करके,
जिंदगी मेरी बचाई,
वरना लिखी थी विक्की,
के भाग्य में तबाही,
जीवन सजा रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नईया चला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला।।
नैया चला रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला,
मुझको बचा रहा है,
मेरा श्याम खाटू वाला।।
स्वर- किंशुक लाडला।
लेखक – विकास विक्की अग्रवाल कानपुर।