नैया मजधार में कोई ना सहाई है,
आके सम्भालो श्याम,
आके सम्भालो श्याम,
अब ना समाई है,
नैया मझधार में कोई ना सहाई है।।
अपनों से धोखों का ही,
मिला उपहार है,
अब तो पराये हुए सारे रिश्तेदार हैं,
अँधियारा घोर कुछ भी,
देता ना दिखाई है,
आके सम्भालो श्याम,
आके सम्भालो श्याम,
अब ना समाई है,
नैया मझधार में कोई ना सहाई है।।
देखूं जिधर भी अब तो,
आफत ही आफत है,
तेरे सिवा ना कोई करे जो हिफाज़त है,
उम्मीदें सारी मैंने तुमसे लगाई हैं,
आके सम्भालो श्याम,
आके सम्भालो श्याम,
अब ना समाई है,
नैया मझधार में कोई ना सहाई है।।
देव दयालु मेरी,
लाज बचाओ ना,
बनके खिवैया बेड़ा पार लगाओ ना,
‘मोहित’ ने तुमसे मोहन अर्ज़ी लगाई है,
आके सम्भालो श्याम,
आके सम्भालो श्याम,
अब ना समाई है,
नैया मझधार में कोई ना सहाई है।।
नैया मजधार में कोई ना सहाई है,
आके सम्भालो श्याम,
आके सम्भालो श्याम,
अब ना समाई है,
नैया मझधार में कोई ना सहाई है।।
Singer – Hari Sharma Ji