नर तन पायो रे मना,
दोहा – पाए जन्म संसार में,
भजियो नही सिरजन हार,
वो मानुष तन आवयो,
मिले न दूजी बार।
नर तन पायो रे मना,
तू नर तन पायो जी,
ओ मानुष जन्म रियो मोर्चो,
मुस्कील सु पायो रि।।
जन्म दियो जद मावड़ी,
थारो लाड लड़ायो जी,
हिवडे दियो लिपटाय,
थाने बार बार दूध पिला यो रि,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
दश वर्ष को हुयो लाल जद,
गेंद खिलायो रि,
डाटा दियो मैदान में,
सबके मन भाया रि,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
बीस वर्ष रा हुआ लाला जद,
थारो विवाह कराया रि,
मन ही मन सोच राइयो,
नारी सुंदर लायो री,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
तीस वर्ष रो हुआ लाल जद,
नार भरमाय ओ री,
दियो कुटुम्ब छिटका या,
नर अब धोको खायो री,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
साठ वर्ष को हुयो लाल जद,
डेरा बाहर दिराया री,
अश्वन धारा सिचकर,
नर मुखड़ा धोयो री,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
जेठू सिंह जी री विनती,
सब सुनजो भाया रि,
सेवा करो ला मां बाप की,
फल लो मन चायो री,
नर तन पायो रि मना तू,
नर तन पायो रि।।
नर तन पायो री मना,
तू नर तन पायो जी,
ओ मानुष जन्म रियो मोर्चो,
मुस्कील सु पायो रि।।
गायक – महेंद्र सिंह इंदा सांडिया।
9913285093
लेखक – स्व जेठू सिंह जी रावना सांडिया।