नथ म्हारी गम गई सा,
ब्रिज का वासी।
दोहा – ओ मुरली वाले सावरा,
तोरी मुरली नेके बजा,
ई मुरली में म्हारो मन बस्यो,
प्रभु एक बार और बजा।
ओ मुरली वाले सांवरा,
तू एकर मा कानी देख,
नेणा माय रमाय ल्यू,
थाने ज्यूँ काजलिया री रेख।।
नथ म्हारी गम गई सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
रास रमंता म्हारी नथड़ी गमाई,
सखीया भई रे उदासी,
ब्रिज का वासी,
नथ म्हारी गम गईं सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
ग्वाल बाल सब मिलकर ढूंढो,
नही तो सब ने ओलबो आसी,
ब्रिज का वासी,
नथ म्हारी गम गईं सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
म्हे तो म्हारे पीवरीये जास्या,
म्हारो बाबुल और घडासी,
ब्रिज का वासी,
नथ म्हारी गम गईं सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
खारिया समंदसू कान्हा,
मोतीड़ा मंगाया,
सोना रे तार में पोवासी,
ब्रिज का वासी,
नथ म्हारी गम गईं सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
चंद्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,
मैं चरणा री दासी,
ब्रिज का वासी,
नथ म्हारी गम गईं सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
नथ म्हारी गम गई सा,
ब्रिज का वासी,
मन म्हारो मोहे लीनो सा,
ब्रिज का वासी।।
– गायक एवं प्रेषक –
बलवंत जी चौधरी।
Ph. 9537718497