नौ दुर्गा की नौ रात सुहानी,
घर घर मे पुजे तोखे अम्बे भवानी।।
सुबह शाम मैय्या थारी आरती उतारा,
आरती उतारा ने तुमखे मनावा,
जगमग जोत थारी जले सुहानी,
घर घर मे पुजे तोखे अम्बे भवानी।।
मैय्या की चुनर चम चम चमके,
थारो यो रूप माय दम दम दमके,
मैय्या की सोभा कसी लगे सुहानी,
घर घर मे पुजे तोखे अम्बे भवानी।।
नौ दिन माय थारो गरबों मनावा,
गरबा की धुन सुन गरबी रमावा,
बागवान गाय थारी राग सुहानी,
घर घर मे पुजे तोखे अम्बे भवानी।।
नौ दुर्गा की नौ रात सुहानी,
घर घर मे पुजे तोखे अम्बे भवानी।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज।
7879338198