सज धज के बैठा साँवरिया,
सोना लागे रे नज़र ना लागे,
नजर ना लागे,
सांवली सूरत पे चन्दा,
फीका लागे रे नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
वारि जावा वारि जावा
वारि जावा रे,
नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
खाटू वाले श्याम धणी पे,
वारि जावा रे।।
तर्ज – छोटा बच्चा जान के हमको।
रूप सलोना है मतवाला,
गले में है वेजन्ती माला,
मोर मुकुट माथे पे सोहे,
आँखो में काजल है काला,
मीठी मीठी मुरली की ये,
तान सुनावे रे नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
सुध बुध खोके नर और नारी,
झूमे गावे रे।।
बाजूबंध की शोभा न्यारी,
फूलो में सज रहे बिहारी,
घुंघराले बालों की लटकन,
पीताम्बर लागे है प्यारी,
तीखे तीखे नैनो से ये,
तीर चलावे रे नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
फिर भी एक झलक के खातिर,
जी ललचावे रे।।
देवी देव भी आए सारे,
गूँज रहे है जय जयकारे,
लून राई नींबू मिर्ची से,
साँवरिया की नज़र उतारे,
छोटी से एक बात ‘मोहित’ के,
मन मैं आवे रे नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
श्याम बिना ‘रिद्देश’ को,
कुछ ना भावे रे।।
सज धज के बैठा साँवरिया,
सोना लागे रे नज़र ना लागे,
नजर ना लागे,
सांवली सूरत पे चन्दा,
फीका लागे रे नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
वारि जावा वारि जावा
वारि जावा रे,
नज़र ना लागे,
नज़र ना लागे,
खाटू वाले श्याम धणी पे,
वारि जावा रे।।
लेखक – आलोक गुप्ता (मोहित)
गायक – रिद्देश अरोड़ा।