निगाहें फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई,
तुम्हारे लाखों दीवाने,
मेरा तो और ना कोई,
निगाहे फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई।।
अगर तुम मुस्कुराते हो,
तो मैं भी मुस्कुराता हूँ,
मधुर बंशी बजाते हो,
तो मैं भी गुनगुनाता हूँ,
हँसाए तो मैं हँसता हूँ,
मेरा तो और ना कोई,
निगाहे फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई।।
तुम्हारे ही भरोसे तो,
मेरी ये जिंदगानी है,
मेरी तो प्रीत बस तुमसे,
तुम्ही को ही निभानी है,
कहूँ दिल की बता किस से,
मेरा तो और ना कोई,
निगाहे फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई।।
मैं रह भी पाऊंगा कैसे,
हुए जो दूर तुम मुझसे,
ईशारा तो करो कोई,
खता क्या हो गई मुझसे,
रुलाए क्यों मुझे ‘लहरी’,
मेरा तो और ना कोई,
निगाहे फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई।।
निगाहें फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई,
तुम्हारे लाखों दीवाने,
मेरा तो और ना कोई,
निगाहे फेर क्यों बैठे,
मेरा तो और ना कोई।।
स्वर – उमा लहरी जी।
Jas mata Rani