निर्धन रो धन गिरधारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा,
ए निर्धन रो धन गिरधारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा हा।।
दुर्बल जात सुदामा कहिजे,
ऊंचत है उनकी नारी,
दुर्बल जात सुदामा कहिजे,
ओ ऊंची है उनकी नारी,
हरी सरिके मित्र तुम्हारे,
हरी सरीके मित्र तुम्हारे,
अजहुन गयी दुविधा थारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा हा।।
तिरीया जात समझ की ओची,
क्या सुमती गई है मारी,
तिरीया जात समझ की ओची ओ,
क्या सुमती गई है मारी,
कर्मो मे दरिद्र लिखीयो है,
कर्मो मे दरिद्र लिखीयो है,
क्या करे मेरो गिरधारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा हा।।
दो दो पेड कदम के तारे,
तार गई गौतम नारी,
दो दो पेड कदम के तारे ओ,
तार गई गौतम नारी,
विश्वामित्र को यज्ञ सफल कर,
विश्वामित्र को यज्ञ सफल कर,
आप बने हरी अवतारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा हा।।
एक विश्वास राख एक धारा,
प्रभु को पुरण गिरधारी,
एक विश्वास राख एक धारा ओ,
प्रभु को पुरण गिरधारी,
दास सुदामा राख भरोसो,
दास सुदामा राख भरोसो,
कंचन महल हुआ क्यारी,
निर्धन रो साचो रे सावरा हा।।
निर्धन रो धन गिरधारीं,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा,
ए निर्धन रो धन गिरधारी,
निर्धन रो धन साचो रे सावरा हा।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818