ओ बांके बिहारी मैं दिल गई हारी,
मैं तो दिल गई हारी,
तो पे जाऊं बलिहारी,
मैं तो गाऊं श्री कुंजबिहारी,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
तेरी मुस्कनिया,
पे पागल ये दुनिया,
जो तू एक बार हँसे,
दिल मेरा ऐसे फसे,
फिर मैं भूल जाऊं दुनिया सारी,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
ये बाल घुंघराले,
है तेरे कारे कारे,
तेरे बाल घुंगराले,
जैसे बादल हो कारे,
तेरी छटा पे जाऊं बलिहारी,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
ये पिला तेरा पटका,
है काँधे पे लटका,
प्यारे पिरे पटवारे,
तेरे नैन कजरारे,
तुझे देख के दिल मेरा अटका,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
स्वामिनी श्यामा प्यारी,
श्री कुंज बिहारी,
श्री हरिदास दुलारी,
संग लीला है न्यारी,
‘त्रिलोकी’ भी जाए बलिहारी,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
ओ बांके बिहारी मैं दिल गई हारी,
मैं तो दिल गई हारी,
तो पे जाऊं बलिहारी,
मैं तो गाऊं श्री कुंजबिहारी,
ओं बांके बिहारी मैं दिल गई हारी।।
स्वर – श्री त्रिलोकी नाथ दास जी।