ओ जी सुगना रा बीर,
ओ जी लाछा रा बीर,
थाने आनो पड़सी,
अर्ज सुनो म्हारी हे धणिया,
म्हारी आन निभानी पड़सी जी।।
दुनिया बेरन ताना मारे,
मैं निर्धनियो जाऊं कठे,
ठोकर खातो फिरूँ भटकतो,
थारी शरण बिना जाऊं कठे,
ओ जी सुगना रां बीर,
ओ जी लाछा रा बीर।।
आंसूड़ा के मोतीडा सू,
भगत बाबा थारा चरण पखारे,
बिनती करे अंतस को पंछी,
थाने उड़ीके सांझ सकारे,
ओ जी सुगना रां बीर,
ओ जी लाछा रा बीर।।
मनड़े री बाता बाबा थे ही जानो,
हिवड़े री पीड़ा धनिया थे पहचानो,
बेगा आओ बाट निहारू,
म्हारो ना और कोई ठिकानो,
ओ जी सुगना रां बीर,
ओ जी लाछा रा बीर।।
डाली बाई री भगति पूरबली,
भगती रो दीवालो आप जगायो,
नाथ अनाथा रा नाथ रामदेव,
यो ही नाम हिवडे में समायो,
ओ जी सुगना रां बीर,
ओ जी लाछा रा बीर।।
हरजी हरजस थारा गाया,
रोम रोम में थे ही समाया,
काया माया रो भरम टूट ग्यो,
थे मिलग्या तो हरक मनाया,
ओ जी सुगना रां बीर,
ओ जी लाछा रा बीर।।
ओ जी सुगना रा बीर,
ओ जी लाछा रा बीर,
थाने आनो पड़सी,
अर्ज सुनो म्हारी हे धणिया,
म्हारी आन निभानी पड़सी जी।।
गायक – सतीश जी देहरा।
प्रेषक – धनाराम खोजा खङकाली (नागौर)