ओ कान्हा मुझको भी रंगले,
अपने रंग में,
रखले अपने संग में,
रखले अपने संग में,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
अंग अंग नाम तेरा,
लिख लिया सांवरे,
तेरी ही आराधना को,
नैन भए बावरे,
चाहे अब दासी बन,
रहूँ तेरे संग में,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
तन मन धन सारा,
करूँ तोपे अर्पण,
हरि हरि गाते गाते,
करूँ मैँ समर्पण,
छवि को निहार लूँ
आरती उतार लूँ,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
प्रीत का लगाऊँ मैँ,
आँखों में अंजन,
रच लूँ हथेलियों पे,
अलख निरंजन,
त्याग की पायलिया हो,
श्रद्धा की चुनरिया,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
जीवन की नैया के,
तुम हो खिवैया,
पार लगाओ आके,
कृष्ण कन्हैया,
तुमको ही पुकारा है,
तेरा ही सहारा है,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
ओ कान्हा मुझको भी रंगले,
अपने रंग में,
रखले अपने संग में,
रखले अपने संग में,
ओ कान्हा मुझकों भी रंगले,
अपने रंग में।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।