ओ कान्हा रे कान्हा,
तु मथुरा में जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो,
ओ कान्हा रे कान्हा,
तु मथुरा मे जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो।।
तर्ज – ओ मितवा रे मितवा पुरब ना।
तेरे बिना कान्हा,
जी ना लगेगा,
जी ना लगेगा,
दिल ना लगेगा,
किया जो वादा तो,
पुरा निभईयो,
तु मथुरा मे जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो।।
तेरे बिना सुनी लागे,
गोकुल की गलीया,
कौन चराऐ गा रे,
तेरे बिन गईया,
वनशी बजईया,
जल्दी लौट के अईयो,
तु मथुरा मे जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो।।
तेरे बिना कोई ना,
माखन खाऐगा,
माखन खाऐगा,
ना जमुना नहाऐगा,
‘मोहित’ सरवन को,
दर्शन दईयो,
तु मथुरा मे जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो।।
ओ कान्हा रे कान्हा,
तु मथुरा में जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो,
ओ कान्हा रे कान्हा,
तु मथुरा मे जाके,
भुल ना जईयो,
भुल ना जईयो।।
– लेखक एवं प्रेषक –
कुमार मोहित शास्त्री
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