ओ खाटु वाले,
तु नैन मिला ले,
गले से लगा ले,
आया हूँ तेरे प्यार में,
कि तेरे कब से खड़ा हूं,
दरबार में,
श्याम बाबा,
ये दिल न तोड़ो,
अकेला न छोड़ो,
मुझे यूं संसार में,
कि ना जी पाऊंगा,
मैं मझधार में।।
तर्ज – ओ फिरकी वाली तू।
मैंने तो तुझे,
कई बार ही कहा है,
सांवरिया तुने ना सुनी,
बढ़ती ही जाए दर पे,
भक्तों की नफरी,
सांवरिया ये दिन दुनी,
मेरे नैना चाहे कहना,
तुने वो नहीं सुनना,
फिर भी कहता,
मैं बात पुरानी,
ओ शीश के दानी,
समय न खो बेकार में,
कि तेरे कब से खड़ा हूं,
दरबार में।।
आया हूं बाबा,
आज सोच के ये दिल में,
कह दूं मैं तू सुन लेगा,
तेरे तसव्वुर,
सदा रह रह के मुझको,
सोने दे ना ये रोने,
अब ख्वाबों में,
आ जा मेरे,
सुन ले लब क्या कह रे,
कि “जालान” किसी से नाता,
युं ही ना जताता,
निभे ये एतबार में,
कि तेरे कब से खड़ा हूं,
दरबार में।।
ओ खाटु वाले,
तु नैन मिला ले,
गले से लगा ले,
आया हूं तेरे प्यार में,
कि तेरे कब से खड़ा हूं,
दरबार में,
श्याम बाबा,
ये दिल न तोड़ो,
अकेला न छोड़ो,
मुझे यूं संसार में,
कि ना जी पाऊंगा,
मैं मझधार में।।
– भजन रचयिता –
पवन जालान जी।
94160-59499 भिवानी (हरियाणा)