ओ माई दही सब छीना,
तेरे ललन ने,
दही सब छीना,
मेरी पकड़ी कलाई,
न माना हरजाई,
मुझे धक्का इसने दीना,
दही सब छीना।।
(गोपियाँ माँ यशोदा से,
कान्हा की शिकायत करते हुए।)
तर्ज – बड़ा दुःख दिना तेरे लखन ने।
वो छुप करके, ग्वालो के सँग,
वो छुप करके, ग्वालो के सँग,
रोज ही करता, है मुझको तँग,
मैया दूँ मै दुहाई,
न माने कन्हाई,
मुझसे बरजोरी कीना,
दही सब छीना,
तेरे ललन ने,
दही सब छीना।।
मेरी सखियाँ, साथ है मेरे,
सामने इनके, लाल ने तेरे,
मेरी मटकी को फोड़ी,
मेरी चूड़ियाँ तोड़ी,
डरे लाज शरम से भीना,
दही सब छीना,
तेरे ललन ने,
दही सब छीना।।
मईया जब मै, शौर मचाई,
मईया जब मै, शौर मचाई,
तब भागा ये, कृष्ण कन्हाई,
मुझे होता पता यह बैठा यहाँ,
मै आती इधर से कभी ना,
दही सब छीना,
तेरे ललन ने,
दही सब छीना।।
ओ माई दही सब छीना,
तेरे ललन ने,
दही सब छीना,
मेरी पकड़ी कलाई,
न माना हरजाई,
मुझे धक्का इसने दीना,
दही सब छीना।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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