ओ मेरे सांवरे सुनो जरा,
बनके रहना मेरे यूँ ही तुम,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
तर्ज – नज़र के सामने।
जब पड़ जाता मैं तनहा,
दिल मेरा घबराये,
तेरे नाम की श्याम प्रभु,
मुझको हिचकी आए,
बातें दिल की मेरी,
बातें दिल की मेरी,
सब तुझे है पता,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
बनके रहना मेरे यूँ ही तुम,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
रंग बदलती दुनिया का,
है दस्तूर अनोखा,
कब मिल जाए अपनों से,
हमको यहाँ पे धोखा,
रूठ जाए ये जग,
रूठ जाए ये जग,
तुम ना होना खफा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
तुमसे ही आबाद मेरी,
ये छोटी सी दुनिया,
तुमसे ही हर चाहत है,
तुमसे मेरी खुशियाँ,
और चाहूँ भला,
और चाहूँ भला,
इससे ज्यादा मैं क्या,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
बेरंग से इस जीवन में,
अपना रंग चढ़ाया,
तूने अपनी खुशबू से,
‘संजय’ को महकाया,
करता ‘कुंदन’ तेरा,
करता ‘कुंदन’ तेरा,
सांवरे शुक्रिया,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
ओ मेरे सांवरे सुनो जरा,
बनके रहना मेरे यूँ ही तुम,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा,
ओ मेरे साँवरे सुनो जरा।।
गायक – संजय पारीक जी।