ओ मेरे श्याम ओ मेरे श्याम।
तर्ज – ओ साहिबा।
दोहा – या अनुरागी चित्त की,
गति समझे नही कोय,
ज्यौं ज्यौं बूड़ै श्याम रँग,
त्यौं त्यौं उज्जल होय।
ओ मेरे श्याम ओ मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
तुम्हारे बिन तुम्हारी ये राधा,
ना जी सकेगी यहाँ,
तुम्हारे बिन तुम्हारी ये राधा,
ना जी सकेगी यहाँ,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम।।
दिन को चैन नही रात हुई भारी,
नींद नहीं आए मैं खुद से हारी,
कब आओगे तुम ओ मुरली धारी,
दुःख मेरे हर लो मैं प्रभु बलिहारी,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम।।
कैसे बताऊँ मैं क्या गुजरी हमपे,
पल पल जीती हूँ यादों के बल पे,
अगर ना आओगे तो पछताओगे,
अपनी राधा को फिर नहीं पाओगे,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम।।
ओं मेरे श्याम ओ मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
तुम्हारे बिन तुम्हारी ये राधा,
ना जी सकेगी यहाँ,
तुम्हारे बिन तुम्हारी ये राधा,
ना जी सकेगी यहाँ,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम,
ओं मेरे श्याम ओं मेरे श्याम।।
स्वर – रमण भैया।