ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे,
परवाह नही है चाहे,
परवाह नही है चाहे,
जग सारा रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
मस्ती में हो मस्तानी,
हो गई मलंग मैं,
रंग गई अपने सांवरे के रंग में,
प्यार की ये पावन डोरी,
प्यार की ये पावन डोरी,
कभी ना ही टूटे रे
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
जितने हैं रिश्ते नाते,
सारे ही मैं तोड़ा दूँ,
तुम ही बताओ कैसे,
खाटू आना छोड़ दूँ,
खाटू ना छुड़वाना तू,
खाटू ना छुड़वाना तू,
साँसें चाहे छूटे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
ग्यारस तेरी बाबा,
खाटू मैं जो आऊं,
जी करता है फिर,
लौट के ना जाऊं,
रिश्ता बना है जो ये,
रिश्ता बना है जो,
कभी ना ही टूटे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
अब तो यहीं पे जीना,
और है मरना,
चरणों से तेरे बाबा,
दूर नही करना,
इतना ही चाहे ‘योगी’,
इतना ही चाहे ‘योगी’,
तू ना कभी रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे,
परवाह नही है चाहे,
परवाह नही है चाहे,
जग सारा रूठे रे,
ओ साँवरे तेरा खाटू ना छूटे रे।।
स्वर – नम्रता जी कारवा।
Bahut hi aCha laga
भावपूर्ण bajan