ओ श्याम जी पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
जहाँ जाऊँ भरमाऊँ,
कहीं चैन ना पाऊँ,
कुछ दिल की भी कहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।
तर्ज – ओ राम जी बड़ा दुःख दीना।
ये दुनिया है एक पहेली,
ये दुनिया है एक पहेली,
पल में बैरन पल में सहेली,
मै तो चाहु सुलझाऊँ,
खुद उलझ ही जाऊं,
उलझन से परे रहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।
ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।
दुनिया के आगे रोया ही रोया,
दुनिया के आगे रोया ही रोया,
कुछ नहीं पाया खोया ही खोया,
मेरे आंसू की कदर तब होगी अगर,
इन चरणों में बहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।
ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।
द्वार तेरा उलझन की कुंजी,
द्वार तेरा उलझन की कुंजी,
नाम तेरा बस साची पूंजी,
चाहे जितने हो गम,
ढाए दुनिया सितम,
मुझे हस हस कर सहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।
ओ श्याम जी पड़ा रहने दें,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।
ओ श्याम जी पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे,
जहाँ जाऊँ भरमाऊँ,
कहीं चैन ना पाऊँ,
कुछ दिल की भी कहने दे,
पड़ा रहने दे,
अपनी शरण में,
पड़ा रहने दे।।
very nice bhajan sanjay mittal ji