ओढ़ चुनरियाँ लाल,
बैठी हेै दादी सजधज के,
बैठी है दादी सजधज के,
बैठी है दादी सजधज के,
देखलो दादी को दरबार,
बैठी है दादी सजधज के।।
बिन्दिया को रंग लाल तिहारो,
आँख्या को काजल है कारो,
मुख पे है तेज अपार,
बैठी है दादी सजधज के।।
गालों पर है लट घुंघराली,
कानों में है झूमका बाली,
गल बिच फुलां रो हार,
बैठी है दादी सजधज के।।
हाथां की या मेहंदी प्यारी,
निरख रही माँ दुनियाँ सारी,
खूब सज्यो है श्रृंगार,
बैठी है दादी सजधज के।।
‘शिव सुबोध’ माँ दर पर आयो,
‘अमित’ तेरी महिमा गायो,
मोटी है सरकार,
बैठी है दादी सजधज के।।
ओढ़ चुनरियाँ लाल,
बैठी हेै दादी सजधज के,
बैठी है दादी सजधज के,
बैठी है दादी सजधज के,
देखलो दादी को दरबार,
बैठी है दादी सजधज के।।
– Singer & Upload By –
Amit Chandak
9804565144