ओम शिव गोरख जपने आला,
दुख नही पावैगा,
दुख नही पावैगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
धूणे आला गोरख प्यारा,
नाथ जती न्यारा,
ओम शिव ओम शिव,
जपणे आला लागे इनै प्यारा,
जैसे चमकै गगन म तारा,
न्यू चमकावेगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
गौ साधु ब्राह्मण की सेवा,
इसकी वाणी स,
सारी दुनिया ने देता,
यूं अन जल पाणी स,
करके सेवा देख लिए,
तेरा भाग जगावेगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
नवनाथों में नाथ बड़ा,
और गुरुओं में गुरु न्यारा,
24 घंटे ध्यान भजन म,
सत्य की ज्योत जगारया,
नगरी नगरी धूणा लारया,
यो घर घर आवेगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
कह लक्की शर्मा पाप पुण्य न,
आप गुरुजी तोल्लै,
विजय नाथ तेरा सच्चा सेवक,
कब आके तू बोल्लै,
गुरु की सेवा करणे वाला,
सफल हो जावैगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
ओम शिव गोरख जपने आला,
दुख नही पावैगा,
दुख नही पावैगा,
शिव शम्भु की कृपा,
वो जीवन में पावैगा।।
गायख व लेखक – लक्की पिचौलिया।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुरलन।
9996800660