औंधलो आरची ने क्या रे करे,
अरे पैली रे ऊपाई बाबो धरतरी,
पचे पवनाने पौणी,
ए पैली पैली नाम गुणेश रो,
रिद्धि सिद्धी आगल वौणी,
ए वरतन जोये वसतू वॉरीये हाॅ हाॅ,
ज्यों रे माय अवगुण नहीं आवे,
अणेचो नहीं आवे हो नाथजी।।
औंधलो आरची ने क्या रे करे,
क्या करे मुरख रे माला,
ए गाफल तस्वीरों ने क्या करे,
घट में घोर अंधेरा,
ए वरतन जोये वसतू वॉरीये हाॅ हाॅ,
ज्यों रे माय अवगुण नहीं आवे,
अणेचो नहीं आवे हो नाथजी।।
ए काचेरे घड़े नीर ना ठंबे,
काचे कागद में पारा,
ए बुगलो मोतीड़ों नें क्यारे करे,
मोतीड़ा हंचलों रा चारा,
ए वरतन जोये वसतू वॉरीये हाॅ हाॅ,
ज्यों रे माय अवगुण नहीं आवे,
अणेचो नहीं आवे हो नाथजी।।
ए अरे बिनारे दीपक रा कैसा,
कैसा त्राटी रे ताला,
ए बिना रे किरीया योगी कैसा,
ज्योंरे मौय नीर भरीया खारा,
ए वरतन जोये वसतू वॉरीये हाॅ हाॅ,
ज्यों रे माय अवगुण नहीं आवे,
अणेचो नहीं आवे हो नाथजी।।
ए बिना रे फरजण कैसी मावड़ी,
किणविद आवेला पौना,
ए बाबो रे डूंगर पुरी बोलीया,
संतों सही कर लेणा,
ए वरतन जोये वसतू वॉरीये हाॅ हाॅ,
ज्यों रे माय अवगुण नहीं आवे,
अणेचो नहीं आवे हो नाथजी।।
गायक – जोग भारती जी।
प्रेषक – प्रवीण वन गोस्वामी काठाड़ी।
9660089438