पावन किशोरी जी तुम्हरे चरण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
जिन चरणों में रहे नन्द नंदन,
मस्तक धरो मेरे करूँ मैं वंदन,
अति सुखदाई तारण तरण,
अति सुखदाई तारण तरण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
चरण शरण बिन मरना भी भारी,
हारा हूँ कर्मो से तरना भी भारी,
भटकन मेरी अब करलो हरण,
भटकन मेरी अब करलो हरण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
ब्रज रज माहि दे दो ठिकाना,
ब्रज में रज बन रहूँ बरसाना,
करूँ रसिकन पग धूलि धरण,
करूँ रसिकन पग धूलि धरण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
तुम्हरे चरण त्रिलोकी समाए,
गोपाली को पागल बनाए,
तन मन धन चरणन अर्पण,
तन मन धन चरणन अर्पण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
पावन किशोरी जी तुम्हरे चरण,
श्री चरणन में दे दो शरण,
श्री चरणन में दे दो शरण।।
स्वर – त्रिलोकी नाथ दास जी।