झूमे धरती अम्बर,
कहती है ये पवन,
आज घर आयेंगे,
बाबोसा भगवन,
आओ मिलके सजाये,
घर आँगन,
शुभ दिन आया है,
बड़ा मन भावन,
राहों में हम पलके बिछाकर,
बाट निहारे,
पधारो माँ छगनी के दुलारे,
बाबोसा घर पे हमारे।।
तर्ज – देश रंगीला रंगीला।
डगर डगर ये सारा नगर देखो,
दुल्हन सा है सजाया,
रंगोली से चोक सजाकर,
कुमकुम कलश भराया,
पग पग दीपक प्रगटाये,
ज्यु अम्बर में चमके तारे,
पधारों माँ छगनी के दुलारे,
बाबोसा घर पे हमारे।।
आपके श्री चरण पड़े तो,
ये धरती पावन हो जाये,
भक्तो की अर्जी सुनकर के,
शुभागमन हो जाये,
चुरू के राजा कब होंगे,
दर्श तुम्हारे,
पधारों माँ छगनी के दुलारे,
बाबोसा घर पे हमारे।।
एक यही अभिलाषा मेरी,
पाँउ में दर्शन तुम्हारे,
‘दिलबर’ तेरी शरण मे आकर,
तुझपे जीवन वारे,
अब न तड़पाओ जल्दी आओ,
द्वार हमारे,
पधारों माँ छगनी के दुलारे,
बाबोसा घर पे हमारे।।
झूमे धरती अम्बर,
कहती है ये पवन,
आज घर आयेंगे,
बाबोसा भगवन,
आओ मिलके सजाये,
घर आँगन,
शुभ दिन आया है,
बड़ा मन भावन,
राहों में हम पलके बिछाकर,
बाट निहारे,
पधारो माँ छगनी के दुलारे,
बाबोसा घर पे हमारे।।
गायिका – अभिलाषा बांठिया।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365