पहले गजानन तुमको नमन,
गौरी के लाला हो,
गौरी के लाला हो,
शंकर सुवन,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
तर्ज – बहुत प्यार करते है।
देवों में देव बड़े तुम ही प्रथम हो,
सभी तुमको पूजे सुंदर परम हो,
निर्धन को देते हो,
निर्धन को देते हो,
तुम स्वामी धन,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
मस्तक सोहे सिंदूर निराला,
कर में त्रिशूल गल मोतियों की माला,
लड्डुओं का भोग लगे,
लड्डुओं का भोग लगे,
करें सेवा संत,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
शीश मुकुट छत्र मूसे की सवारी,
दया के हो सागर चार भुजा धारी,
एकदंत लंबोदर,
एकदंत लंबोदर,
हो गज बदन,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
अंधन को आंखें कोड़ीन को काया,
देते हो सबको बाझान को छाया,
दुखियों की करते हो,
दुखियों की करते हो,
बाधा हरण,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
बुद्धि ज्ञान पाऊं सदा रहु शरण में,
ये धर्मेंद्र दास तुम्हारी शरण में,
निस दिन मैं करता हूं,
निस दिन में करता हूं,
तुम्हारा भजन,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
पहले गजानन तुमको नमन,
गौरी के लाला हो,
गौरी के लाला हो,
शंकर सुवन,
पहलें गजानन तुमको नमन।।
प्रेषक – धर्मेंद्र दास वर्मा।