पैदल आस्या रे रुणिचे वाला,
थारी नगरी,
पैदल आस्या रे।।
अजमल जी रा कंवर लाडला,
मेनादे रा जाया रे,
लाछा सुगना थारी बहना,
बीरमदे रा बीर,
पैदल आस्या रे।।
मायड़ बापू काका ताऊ,
हिल मिल सागे चाले रे,
भाई बहना टाबर टिकर,
सागे जावे रे,
पैदल आस्या रे।।
धोरा री धरती के ऊपर,
काई काई खेल रचयो रे,
भेरूडा नें मारे बाबो,
भार उतारे रे,
पैदल आस्या रे।।
पैदल-पैदल आशा बाबा,
गुण थारा ही गास्या रे,
नाचा गावा बाबा थारे,
चंग बजावा रे,
पैदल आस्या रे।।
रतनगढ़ से पैदल चलकर,
द्वारा थारे आस्या रे,
रास्ते माही बाबा थे तो,
ध्यान धरीजों रे,
पैदल आस्या रे।।
रूनीचे का नाथ आपरी,
महिमा सब कोई जाने रे,
संजू तोलु पिर्न्स गोपालो,
नाचे गावे रे,
पैदल आस्या रे।।
पैदल आस्या रे रुणिचे वाला,
थारी नगरी,
पैदल आस्या रे।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।
9982095020