पल ही पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे लोगो से।
दशरथ के घर जन्मे राम,
सँखिया गाये मंगलाचार,
राम लखन ओर मात जानकी,
बाना धरा फकीर का।
पल हि पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
एक हुआ था हरिशचन्र्द दानी,
काशी में बिक गए दोनो पृाणी,
नीच के घर जाकर के वो,
घडा उठाया नीर का।
पल हि पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
अर्जुन ऐसा वीर था,
लडने में रणधीर था,
भीला न लुटी गोपियाँ,
जोर न चला तीर का।
पल हि पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
कोई मनावे देवी देवता,
कोई बंदा पिर का,
हर दम ध्यान हरि का रखना,
कहना दास कबीर का।
पल हि पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
पल ही पल में क्या हो जाए,
पता नही तकदीर का,
राजा को भिखारी बना दे,
काम है तकदीर का।।
गायक / प्रेषक – धरम चन्द नामा।
(नामा म्युजिक) सागांनेर।
9887223297