पल पल में यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में,
इस पल को काहे तू खोए,
बृथा की बातो में।।
तर्ज – रिमझिम के गीत सावन गाए।
बड़ी सुन्दर, है ये काया,
बड़ भागी है जो तू ये पाया,
पर तू ने कीमत न जानी,
न जानी, बृथा की बातो में,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
आजा प्यारे, गुरू द्वारे,
नही लागे तेरा कुछ दाम रे,
भजले नाम तू सतगुरू का,
प्रभू का, स्वाँसो ही स्वाँसो मे,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
तजदे मान रे,ओ नादान रे,
किस पर तु करे अभिमान रे,
सोँपदे तू अपना जीवन,
जीवन,सतगुरू जी के हाथो में,
पल पल मे यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में।।
पल पल में यह जीवन जाए हाय,
बृथा की बातो में,
इस पल को काहे तू खोए,
बृथा की बातो में।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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