पांच तीरथ घर माही रे संतो,
दोहा – माता तीर्थ पिता तीर्थ,
और तीर्थ ज्येष्ठ बंधवा,
वचने वचने गुरू तीर्थ,
और तीर्थ अभ्यागता।
संत हमारी आत्मा,
और मै संतो की देह,
रोम रोम मे रम रयो,
ज्यूं बादल बीच मेह।
पांच तीरथ घर माही रे संतो,
पांच तीर्थ घर माही रे,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
भूलो भटकवा जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
पेलो तीरथ है मात पिता रो,
सेवा करो रे सवाई,
भूलो मती कुटुम्ब री किरिया,
वो ही नर पार हो जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
दूजो तीरथ गुरू पीरा रो,
अरे सत धर्म री पाई,
सतगुरू सा रो शरणो लिजो,
वो ही नर पार हो जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
तीजो तीरथ है बहन बेटी रो,
आंगणे बहन ओढाई,
मले तो दीजो लाख चोगणो,
घर कन्या परणाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
चोथो तीरथ है नर नारी रो,
धिन धिन प्रेम सवाई,
एक दूजा बिना पड़े प्रोणिया,
वचन दोपना जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
पोचवो तीरथ है परोपकारी,
हटे धर्म री पाई,
सात सुआणी एक भाणेजी,
इयु न थोड़ो होई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
वचनदास सतगुरू रे शरणे,
आ तीरथ ताक बताई रे,
नरकागत नाम सही है,
हद री वात बताई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
पाँच तीरथ घर माही रे संतो,
पांच तीर्थ घर माही रे,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
भूलो भटकवा जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।
गायक – राजेश्वर जी वैष्णव।
प्रेषक – पुखराज पटेल बांटा
9784417723