पांडवा कलजुग आवेला भारी,
थाने कह गया कृष्ण मुरारी,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
बुद्धिहीन कर्म रा काचा,
बुद्धिहीन कर्म रा काचा,
कुल मे ग्रीना कवारी,
घोरम घोर कलजुग आसी,
ओ घोरम घोर कलजुग आसी,
होसी सब एक सारी ओ,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
खट कृषक खेती कर खावे,
खट कृषक खेती कर खावे,
धूप बलेला भिखारी,
साद सती कोई हिरला होसी,
ओ साद सती कोई हिरला होसी,
सब घर मारी ओ,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
कलजुग पाप कपट रो पहरो,
कलजुग पाप कपट रो पहरो,
प्रेम छोडे नर नारी,
वरन शंकर ज्यारे पुत्र जन्मसी,
वरन शंकर ज्यारे पुत्र जन्मसी,
होसी वक्त रो खोगारी,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
काना सु सुणीयो न आँखा सु दिखे,
काना सु सुणीयो न आँखा सु दिखे,
ओ कलजुग है भारी,
पाँच पांडवा छठी द्रोपदी,
पाँच पांडवा छठी द्रोपदी,
जाय हिमालय हाली ओ,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
वेद पुराण अलोप हो जासी,
वेद पुराण अलोप हो जासी,
नीच वरन उचारी,
गंगा शिव रे मुकुट मे रहसी,
गंगा शिव रे मुकुट मे रहसी,
जयकांत करे रे पुकारी,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
पांडवा कलजुग आवेला भारी,
थाने कह गया कृष्ण मुरारी,
ओ पांडवा कलयुग आवेला भारी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818