पर घर लाज नही मारो,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो,
लाज न मारो शर्म मत मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
मैं तो मारो ईश्वर जानियो,
जान के लियो सहारो,
मैं तो मारो ईश्वर जानियो रे,
जान के लियो सहारो,
तू तो कान्हा कपटी निकलयों,
कर गयो सफा किनारो,
पर घर लाज नही मारों,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
हे जी थारे भरोसे खाली आ गयो,
संग सुरयो रो सहारो,
थारे भरोसे खाली आ गयो रे,
संग सुरयो रो सहारो,
अटे भाई रे सगा में भुन्डो लागे,
यू काई लाज घमओ,
पर घर लाज नही मारों,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
के थने राधा रुक्मण बरज्यो,
के सुख सो गयो सारो,
थे भक्तो री करो नोकरी,
हो गयो देश निकालो,
पर घर लाज नही मारों,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
मारो तो प्रभु कुछ नहीं बिगड़े,
हिरज जावसी थारो,
नरसी के प्रभु दरश दिखा दो,
शेष द्वारका वालो,
पर घर लाज नही मारों,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
पर घर लाज नही मारो,
माने शर्म न मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो,
लाज न मारो शर्म मत मारो,
नरसी भक्त तुम्हारो।।
गायक – श्याम दास वैष्णव ( जोधपुर )
प्रेषक – प्रकाश पालीवाल
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